दोहा
जऊन भक्त शरण पड़े, ले श्रद्धा विश्वास ।
श्रीगणेश पूरन करे, ऊखर जम्मो आस ।।
चौपाई
हे गौरा गौरी के लाला । हे प्रभू तू दीन दयाला । ।
सबले पहिली तोला सुमरव । तोरे गुण गा के मै झुमरव ।।1।।
तही तो बुद्धि के देवइया । तही प्रभू दुख के हरइया
वेद पुराण तोरे गुण गाय। तोर महिमा ल भारी बताय ।।2।।
दाई धरती ददा ह अकास । ऐ बात कहेव तू मन खास
तोर बात ले गदगद महेष । बना दिहीस ग तोला गणेश ।।3।।
शुरू करय जऊन ह अपन काम । हे प्रभू ले के तोर नाम
जम्मो के काम होवय सफल । कोनो विघ्न झन देवय दखल ।।4।।
जइसन लम्बा सूड़ ह तोरे । लम्बा कर दव ज्ञान ल मोरे
जइसन भारी पेट ह तोरे । गहरा कर दव सोच ल मोरे ।।5।।
गौरी दुलार भाथे तोला । ओइसने दुलार दव मोला
जस मिठ मोदक भाये तोला । मिठ मिठ भाखा दे दव मोला ।।6।।
हे एकदन्त एक किरपा करहु । मोर बुद्धि ल कभ्भू झन हरहु
संझा बिहनिया लेवंव नाम । पूरा कर दव अब जम्मो काम ।।7।।
हे मोर आखर के देवता । गाड़ा गाड़ा तोला न्योता
हे देव कुमति के नाश करव । प्रभू सुमति मोर भाल भरव ।।8।।
अपन पुरखा अऊ माटी के । अपन जंगल अऊ घाटी के
करवं मै निशदिन परनाम । सदा बने रहय ईखर मान ।।9।।
यशगान गावय सारद शेष । तोर शरण म आये ग ‘रमेश‘।
हे रिद्धी सिद्धी के दाता । अब दुख मेटव भाग्य विधाता ।।10।।
जब जब भक्त शरण परय, मेटय सकल कलेस ।
सुख देवय पिरा लेवय, मोर मयारू गणेश ।।
– रमेशकुमार सिह चौहान
मिश्रापारा, नवागढ
जिला बेमेतरा छ.ग.
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